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“पूर्णागिरि मेले के संचालन में मेला पंचायत और जिला मजिस्ट्रेट की विफलता—टनकपुर से भैरव मंदिर तक टैक्सी संचालन के कारण ठूलिगाड़ के व्यापारियों पर पड़ी भारी मार, ठप हुआ स्थानीय व्यापार।”

पूर्णागिरि मेला प्रबंधन में लापरवाही से व्यापारियों पर संकट, खत्म हुआ व्यापार

 

टनकपुर (चम्पावत), उत्तराखंड के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल पूर्णागिरि धाम में इस वर्ष आयोजित मेला कई व्यापारियों के लिए नुकसानदायक साबित हुआ। मेला संचालन की जिम्मेदारी संभालने वाली मेला पंचायत और जिला प्रशासन की नाकामी के चलते विशेष रूप से ठूलिगाड़ क्षेत्र के व्यापारियों को भारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ी है।

प्रशासन द्वारा इस बार टनकपुर से सीधे भैरव मंदिर तक टैक्सी सेवाएं चालू कर दी गईं। इसका सीधा असर उन व्यापारियों पर पड़ा जो वर्षों से ठूलिगाड़ में दुकानें लगाकर अपनी आजीविका चला रहे थे। पहले श्रद्धालु पैदल या छोटे वाहन मार्ग से ठहराव लेते हुए चलते थे, जिससे दर्जनों दुकानों पर चहल-पहल बनी रहती थी। मगर इस बार श्रद्धालुओं को डायरेक्ट मंदिर तक पहुंचने की सुविधा मिलने से ठूलो मार्ग एकदम सूना हो गया।

 

स्थानीय व्यापारियों ने बताया कि उन्हें इस बार उम्मीद थी कि मेला उनके लिए राहत लेकर आएगा, लेकिन अव्यवस्थित और बिना पूर्व योजना के लिए गए निर्णयों से उनका व्यवसाय लगभग खत्म हो गया। दुकानों पर ना के बराबर ग्राहक पहुंचे, जिससे रोज़मर्रा का खर्चा निकालना भी मुश्किल हो गया।

 

व्यापारी संघ के एक प्रतिनिधि ने कहा, “हमने जिला प्रशासन से कई बार अनुरोध किया था कि टैक्सी सेवा को सीमित किया जाए या चरणबद्ध तरीके से संचालित किया जाए ताकि बीच के मार्गों पर भी रुकावट बने और स्थानीय व्यापारियों को लाभ मिले। लेकिन हमारी बात को अनसुना कर दिया गया।”

इस मामले में जिला मजिस्ट्रेट और मेला अधिकारी की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया अब तक सामने नहीं आई है। स्थानीय लोगों ने अब सरकार से मांग की है कि भविष्य में मेले की योजना स्थानीय हितों को ध्यान में रखकर बनाई जाए, ताकि धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिल सके।

 

रिपोर्टर: शुभम गौड़

स्थान: टनकपुर, उत्तराखण्ड

Shubham Gaur

Written by Shubham Gaur

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